कहते हैं कलाकार की भूख अपनी कला का प्रदर्शन दिखाने के लिए इस क़दर उछाल मारती है जैसे एक बच्चा भूखे होने पर माँ के दूध के लिए तड़पता है। आज कई कलाकार हमें ऐसे देखने को मिलते है जिन्हें स्टेज नहीं मिलता है तो वो सड़कों पर निकलकर अपनी कला का प्रदर्शन करते हैं। इसमें वरुण दागर एक ऐसे उधारण हैं जो उन सभी उभरते हुए कलाकारों को प्रेरित करते है जिनके पास ना कोई AUDIENCE है और ना ही कोई संगीत उपकरण। ऐसा नहीं है कि वरुण दागर के पास कुछ है नहीं, उनके पास आडियन्स भी है उनके पास म्यूजिक उपकरण भी लेकिन सड़कों पर अपनी कला को प्रस्तुत करना उन्हें हर दिन एक कहानी, एक नए चैलेंज से रूबरू कराता है। आज हम उनके बारें में नहीं बल्कि लखनऊ म्यूजिक सीन के बारें में बात करेंगे। बात पिछले साल की है जब मैंने अपना यूट्यूब चैनल शुरू किया जिसकी वजह थी बेरोज़गारी। हाँ मेरे पास कोई जॉब नहीं थी मैं बोर हो रही थी और मुझे चुल थी कुछ करने की। फिर कंटैंट की तलाश में मैंने लखनऊ की सड़कों पर ख़ाक मारना शुरू कर दिया। इसी कंटैंट की तलाश में मुझे पहली बार सड़क पर एक कलाकार बसकिंग करते हुए दिखा। जिसका नाम था यश अगरवाल, शायद बसकिंग क...