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Reality of Lucknow Hip Hop Rap scene

कहते हैं कलाकार की भूख अपनी कला का प्रदर्शन दिखाने के लिए इस क़दर उछाल मारती है जैसे एक बच्चा भूखे होने पर माँ के दूध के लिए तड़पता है। आज कई कलाकार हमें ऐसे देखने को मिलते है जिन्हें स्टेज नहीं मिलता है तो वो सड़कों पर निकलकर अपनी कला का प्रदर्शन करते हैं। इसमें वरुण दागर एक ऐसे उधारण हैं जो उन सभी उभरते हुए कलाकारों को प्रेरित करते है जिनके पास ना कोई AUDIENCE है और ना ही कोई संगीत उपकरण। ऐसा नहीं है कि वरुण दागर के पास कुछ है नहीं, उनके पास आडियन्स भी है उनके पास म्यूजिक उपकरण भी लेकिन सड़कों पर अपनी कला को प्रस्तुत करना उन्हें हर दिन एक कहानी, एक नए चैलेंज से रूबरू कराता है। आज हम उनके बारें में नहीं बल्कि लखनऊ म्यूजिक सीन के बारें में बात करेंगे। 

बात पिछले साल की है जब मैंने अपना यूट्यूब चैनल शुरू किया जिसकी वजह थी बेरोज़गारी। हाँ मेरे पास कोई जॉब नहीं थी मैं बोर हो रही थी और मुझे चुल थी कुछ करने की। फिर कंटैंट की तलाश में मैंने लखनऊ की सड़कों पर ख़ाक मारना शुरू कर दिया। इसी कंटैंट की तलाश में मुझे पहली बार सड़क पर एक कलाकार बसकिंग करते हुए दिखा। जिसका नाम था यश अगरवाल, शायद बसकिंग का उसका वो पहला दिन था और लखनऊ में मेरा पहला आर्टिस्ट इंटरव्यू। 

इसी दौरान मैं KNOCKSENSE के LA BINGE FESTA में गई और वहाँ मैंने लखनऊ के कई लोकल ARTIST को एक साथ देखा जहां कई SINGERS और RAPPERS PERFORM कर रहे थे। जिसके बाद मेरा CONTACT लखनऊ के RAPPER SHASHANK SAVAGE SE हुआ। फिर मुझे लखनऊ हिप हॉप के बारें में पता चला। जिसके बाद मुझे अंडरग्राउंड हिप हॉप सीन का पता चला। तब मैंने  फिर उसके बाद मैंने पहला हिप हॉप साइफ़र ATTENTD किया। जिसके बाद मैंने काफी आर्टिस्ट को एक्सप्लोर किया। तब मुझे जाकर ये पता चला कि नवाबों के शहर लखनऊ में हिप हॉप सीन तो चरम पर है। जिसके बाद मैंने हिप हॉप आर्टिस्ट और म्यूजिक को जाना और उन्हें एक्सप्लोर किया। फिर क्या इसी तरह मैं किसी ना किसी आर्टिस्ट से मिलती गई और म्यूजिक के कलाकारों को जानने का सिलसिला बढ़ता गया।

कैसे है लखनऊ के RAPPERS: 

जितना अबतक मैंने LUCKNOW हिप हॉप सीन और लखनऊ हिप हॉप आर्टिस्ट को समझा उसके ACCORDING मुझे कई तरह के RAPPERS देखने को मिले। पहले वो जो काम कम बातें ज़्यादा करते है, दूसरे अपनी इमेज को लेकर काफी असहज रहने वाले, तीसरे अफवाह फैलाने वाले, चौथे अपने मतलब के लिए लोगों को चूना लगाने वाले। अब आप सोच रहें होंगे कि क्या लखनऊ में कोई सच्चा आर्टिस्ट नहीं हैं। तो मैं कहूँगी बिल्कुल है, अपनी कला के लिए वो बिल्कुल सच्चे है पर इंसान कैसे है वो ये कहना थोड़ा मुश्किल हैं। लेकिन कुछ आर्टिस्ट ऐसे भी है जो अपनी कला को जिंदा रखने के लिए जॉब कर रहें हैं ताकि वो अच्छे क्वालिटी में गाने निकाल सकें. लेकिन आधे से ज़्यादा आर्टिस्ट डिप्रेस्ड और नशे में भी हैं. 


लखनऊ में CYPHER कैसे होते है: 

इस बात का ज़िक्र मैं अपने पहले CYPHER EXPERIENCE से करती हूँ जिसका नाम UP CYPHER VOL 5 था। जिसे RAPPER TFO ने ORGANISE कराया था. जहां जहां यूपी के अलग अलग शहरों से लोग आए हुए थे. इस CYPHER में MC INSANE AS A GUEST शामिल हुए थे.इसके बाद मैंने UP WALA CYPHER ATTEND किया था जिसे LUCKNOW HIPHOP PAGE ने ORGANISE कराया था.इस साइफर को लेके ये भी कहा गया कि जब रैपर पैंथर लखनऊ में रहा करते थे तब वो ये साइफर कराया करते थे और इसीलिए इस साइफर का क्रेडिट उनके ही नाम किया गया. इस साइफर में चर्चित रैपर PANTHER, MC INSANE, WICKED SUNNY भी AS A GUEST SHAMIL हुए. इस साइफर में पैंथर ने अपने ALBUM कसम पैदा करने वाले की खुलासा किया था. 

पिछले इन एक सालों में ये दो साइफर थोड़ा बड़े पैमाने पर हुआ था जो की पेड एंट्री था. लेकिन HIP HOP ARTIST का एक तबका हमें लखनऊ के सड़कों पर भी देखने को मिला. जहां वो सभी रैपर आते हैं जो एक दुसरे को सपोर्ट करते हैं. इस साइफर मैं वो सभी रैपर भी आते हैं जो सीन में काफी पहले टाइम से हैं लेकिन किसी कारण वश उन्होंने म्यूजिक में अपना करियर जारी रखना छोड़ दिया. मगर इस साइफर में आकर वो अपनी म्यूजिक को जिंदा रखते हैं.कुछ नए लोग भी इस साइफर में अक्सर जुड़ते रहते हैं और अपना कला के ज़रिये कमाल दिखाते रहते हैं. इस साइफर को LUCKNOW STREET CYPHER और LO TOWN MANAGE करता है.

तो overall अगर मैं लखनऊ हिप हॉप सीन की बात करूँ तो यहां लोग groups में बंटे हुए हैं. जिसके चलते हिप हॉप सीन दिल्ली या मुंबई के मुकाबले grow नहीं कर पा रहा है. कुछ लोग ऐसे भी हैं जो कोशिश कर रहें हैं मगर फिर से वहीँ बात आती लोग groups में बंटे हुए हैं. मुझे ऐसा लगता है अगर सभी लोग एक साथ सीन को लिए काम करें तो लखनऊ हिप हॉप सीन जल्द ही एक अलग मुकाम पर नज़र आएगा. इसके लिए सभी नए और पुराने आर्टिस्ट को एक साथ मिलकर आपस के मतभेद solve करने होंगे, सभी सीनियर और जूनियर आर्टिस्ट को एक दुसरे की respect करनी होगी, जो गलत हैं उन्हें सही बात समझानी ताकि लोग गुमराह ना हो, एक दुसरे की मदद करके इन्हें काम करना होगा. और सबसे खास बात एक दुसरे के लिए आर्टिस्ट को ये नफरत खत्म करनी होगी. लोगों के विचार अलग हो सकते हैं पर मकसद एक ही होना चाहिए तभी जाके आने वाली youngster के लिए ये एक मिसाल बन सकते हैं.

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mujhe samjh nahi ata ki parents aksar ladkiyo ke liye itna pareshan kyu rahte hai specially tab jb wo us age me ati hai ki use duniya samjhni shuru hi ki hoti hai, jaha use duniya dekhne ki umar hoti hai, azad hoker fizao me chillane ka mann karta waha use rishton me bandhne ki baat kyu krne lgte hai. Ldkiyo ko shadi ke liye aise taiyar kiya jata hai jaise ki sb kuch shadi hi ho. Rishte ke liye photos to aise aise dikhaye jate hai jaise ki uske liye ladke nhi bus murgi halal karne ke liye ek kasai chahiye. Fir agar koi ladki ldke ko reject krti hai to uspe ungliyan uthani shuru ho jati hai, use ye ehsas dilaya jata hai ki sb kuch life me perfect nahi milta kuch na kuch to sacrifice karna hi padta hai. Mujhe samjh nhi aata why always girls sacrifice her dream her opinion her way of styles. Ye sare sacrifices ke tabu ladko pe kyu nahi lagte unhen kyu nahi sikhaya ya btaya jata hai ki sacrifice wo bhi kr skte hai. I know har koi perfect nhi hota hame perfect banana pdta hai bt my question

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