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Showing posts from January, 2016
आज मै किसी काम से पुराने लखनऊ कि तरफ़ चल पड़ी और फिर कुछ देर पैदल चली रास्ते मे एक छोटा बच्चा मिला वो अपनी मौज मस्ती मे सड़क के किनारे चला जा रहा था। हम लोगे ने उस बच्चे को  मज़ाक मे  डराने लगे कि "रुको अकेले जा रहे हो ना, तुमको पकड़ के घर ले चलते है" वो थोड़ा सा डरके आगे बढ़ जाता है और फिर वो सड़क को क्रॅास करने लगता है।  मगर वो बहुत ही छोटा था और गाड़ियो को बिना देखे आगे बढ़ने लगा , फिर मैने उसका हाथ पकड़कर उसे सड़क पार कराया ,ये सोचकर कि कही कोई दुर्घटना न हो जाए। जब मैने उसे सड़क पार करा दिया तो बच्चा मुस्कुरा कर मेरी तरफ़ देखा और फिर मै भी मुस्कुरा कर आगे कि तरफ़ चल पड़ी । कुछ दुर आगे चली ही थी कि एक और छोटा बच्चा मिला बोला भूक लगी कुछ पैसे दे दो , हम लोग के पास अंगूर थे तो हमलोग ने उसे खाने के लिये अंगूर दे दिये । उस समय ये एहसास हुआ कि सरकार अगर फालतू के मुददो पे बहस करने के बजाए इन भूखे बच्चो के बारे मे कुछ सोचती तो शायद ये भूखे बच्चे सड़क पे भीख न मांग रहे होते और आज इस देश मे कोई बचचो से भीख न मगवाता।
                   आईना दिखाएगी  ये दुनिया जब ज़ुल्म से भर जायगी , जब अच्छे इंसान की चुप्पी कुछ न बताएगी, जब लड़ते है हम बुराईयो के खिलाफ, फिर क्यू कर बुराई जीत पाएगी , सुनो, ऐ बुरा करने वालो, जब जब बुरा करोगे इस समाज में, हर सहाफी तेरा आईना बताएगी , तुम सहाफियो को यु मारकर , ये मत समझना की तेरी बुराई छिप जाएगी , जब जब सहाफियो मारोगे , फिर और सहाफ़ी आ जाएगी , बुरा करने वालो सुनो हमारी बात, बुराई न कभी जीती है न कभी जीत पाएगी तुम जब जब बुरा करोगे इस समाज में , ये सहाफी तेरा आईना दिखआएगी