@@@अब इंडिया कि बारी आई है @@@
सिंधू और साक्षी के जीतने के बाद ये तो साबित ही हो गया कि बेटियां हर बुरे वक्त मे अपने घर कि इज़्ज़त बचाती है। रियो ओलंपिक्स मे 125 करोड़ भारतीय टीम मे से अभी तक किसी ने भी सेमी फाइनल ये जगह नहीं बनाइ है लेकिन सिंधू ने सेमिफाइनल मे अपनी जगह बनाई और साक्शी ने कांस्य पदक जीतकर देश का सर गर्व से ऊँचा कर दिया है। इन दोनों खिलाड़ियों के जीतने के बाद हर भारतीय मे जोश कि लहर की दौड़ पड़ी है। जहां हार कि वजह से लोगों मे निराशा थी वही अब खिलाड़ियो मे जीतने का जज़्बा पैदा हो गया है।
बेटियां हर बार अपने घर, अपने रिशतेदार, अपने समाज, और देश कि इज़्ज़त बनती भी है और बचाती भी है। साक्षी और सिंधू ने भी इस बार अपने देश कि इज़्ज़त बचाई है।
सिंधू और साक्षी के जीतने के बाद ये तो साबित ही हो गया कि बेटियां हर बुरे वक्त मे अपने घर कि इज़्ज़त बचाती है। रियो ओलंपिक्स मे 125 करोड़ भारतीय टीम मे से अभी तक किसी ने भी सेमी फाइनल ये जगह नहीं बनाइ है लेकिन सिंधू ने सेमिफाइनल मे अपनी जगह बनाई और साक्शी ने कांस्य पदक जीतकर देश का सर गर्व से ऊँचा कर दिया है। इन दोनों खिलाड़ियों के जीतने के बाद हर भारतीय मे जोश कि लहर की दौड़ पड़ी है। जहां हार कि वजह से लोगों मे निराशा थी वही अब खिलाड़ियो मे जीतने का जज़्बा पैदा हो गया है।
बेटियां हर बार अपने घर, अपने रिशतेदार, अपने समाज, और देश कि इज़्ज़त बनती भी है और बचाती भी है। साक्षी और सिंधू ने भी इस बार अपने देश कि इज़्ज़त बचाई है।
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