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Showing posts from June, 2021

कहानी मिडल क्लास फ़ादर की, जो है बाज़ीगर

'मिडल क्लास फादर' एक ऐसा फादर जो अपने बच्चों को उस लेवल के लिए तैयार करने की हर वो मुमकिन कोशिश करता है जो उसे उसकी कामयाबी तक ना पहुंचा सकी। वजह फिर चाहें जो भी हो उनकी नामकामयाबी का मगर अपने बच्चों को अच्छे स्कूल, अच्छी सोसाइटी, एक बेहतर फ्यूचर देने के लिए अपनी हर पूरी कोशिश करते हैं।  कुछ फादर ऐसे होते है जो अपने बच्चों के लिए जो करना पड़े वो करते है फिर गलत हो या सही। कुछ फादर अपने उसूलों के पक्के होते हैं। कुछ फादर्स बच्चों की नज़र में मिलिनीयर होते है और कुछ फादर्स इतने ईमानदार और सीधे होते है कि उनके लिये काम बस उतना ही ज़रूरी है जिससे की दो वक्त की रोटी और जीने के लिए सांसे। उनके लिए ज़िन्दगी में आगे बढ़ना शायद कोई मायने नहीं रखता, उनके लिए जैसा चल रहा वैसा चलने दो वाला प्रोसेस होता है। हर पिता की अपनी एक कहानी होती है कि वो ज़िन्दगी में आगे कैसे बढ़ें है, कैसे उन्होंने वो मुकाम हासिल किया। कैसे उन्होंने ज़िन्दगी को बेहतर बनाया।  मेरे पापा इनमें से बिल्कुल नहीं है जिनके पास कोई कहानी हो जिंदगी में के किसी मुकाम को हासिल करने के लिए। लेकिन आज उनके लिए ' 'फादर

मीडिया संस्था की प्रक्रिया और उनसे जुड़े एम्प्लॉय के हालात

आज तक ना जाने क्यों मुझे मीडिया फील्ड की प्रक्रिया समझ ही नही आती है। इस फील्ड का जितना बोल बाला बाहर से दिखाई देता है उतना अंदर से नज़र क्यों नहीं आता। बाकी फील्ड के मुक़ाबले अगर मीडिया फील्ड की तुलना की जाए तो ये उतनी मुझे उतनी बेहतर नहीं दिखाई दी।  जहां शुरुआती दौर में कोई अन्य संगठन अपने न्यू एम्प्लॉय को बाकायदा अच्छी सैलरी के साथ अच्छी ट्रेनिंग प्रोवाइड कराता है वहीं मीडिया फील्ड अच्छी सैलेरी तो छोड़िए ट्रेनिंग के नाम पर उसे यूँही कंपनी में छोड़ दिया जाता है। अगर उस शख्स में काबिलियत है तो वो देखते दिखाते सीख सीखा जाता है और नही है तो उसका करियर इस फील्ड के लिए फिर तो बर्बाद समझो...अक्सर ज़्यादातर इस फील्ड से जुड़े लोग अपनी फील्ड बदल लेते है पता है क्यों ? क्योंकि उन्हें वो ट्रेनिंग नहीं दी जाती है जो दूसरी कंपनिया अपने एम्प्लॉय को प्रदान करती है। कुछ इस वजह से भी अपनी फील्ड बदल देते है क्योंकि जो उस काबिल होते है उन्हें उनकी मेहनत के अनुसार मेहनताना नहीं दिया जाता। इसलिए तंग आकर वो उस फील्ड में चले जाते जहां उनका मन तो नहीं होता मगर उनकी मेहनत अनुसार मेहनताना मिल ही जाता है