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माँ सोशल मीडिया पर है मगर घरों में नहीं... मदर डे स्पेशल

14 मई का दिन हर माँ के लिए सबसे खास दिन बन जाता है और वो भी तब जब इस माँ के लिए साल में एक बार भी छुट्टी नहीं होती. आज के इस अवसर पर सभी लोग सोशल मीडिया पर और घरों में माँ के प्यार और माँ के सब्र को बहुत ही अहमियत दे रहें हैं. कोई घरों में माँ के लिए सेलिब्रेट कर रहा हैं तो उनके लिए सरप्राइज प्लान कर रहा है. हर कोई अपनी माँ को आज स्पेशल फील करने के लिए कुछ ना कुछ करने की सोच रहा है. करे भी क्यों ना माँ होती ही है इतनी स्पेशल. http://aapkikhabar.com/17689/Mother-is-on-the-social-media-but-not-in-the-house पुरे साल एक यही तो दिन आता है जब हर बच्चे को एहसास  होता है कि माँ क्या है. लेकिन वहीँ कुछ  लोगों का मानना है कि सोशल मीडिया पर माँ के प्रति जो प्यार हम प्रकट कर रहें है वो सब महज एक दिखावा ही . एक बार मान भी लिया जाए की ये सब एक दिखावा है. इस दिखावे के ज़रिये ही सही कम से कम उन लोगों को ये तो समझ आएगा जो माँ की एहमियत को नहीं समझते, माँ के प्यार को नहीं समझते, कम से कम वो लोग  सोशल मीडिया पर दिखावे वाले प्यार को देखकर ही  अपने माँ के प्रति कुछ तो एहसास हुआ होगा शायद इस दिखावे

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@@@अब इंडिया कि बारी आई है @@@ सिंधू और साक्षी के जीतने के बाद ये तो साबित ही हो गया कि बेटियां  हर बुरे वक्त मे अपने घर कि इज़्ज़त बचाती है। रियो ओलंपिक्स मे 125 करोड़ भारतीय टीम मे से अभी तक किसी ने भी सेमी फाइनल ये जगह नहीं बनाइ है लेकिन सिंधू ने सेमिफाइनल मे अपनी जगह बनाई और साक्शी ने कांस्य पदक जीतकर देश का सर गर्व से ऊँचा कर दिया है। इन दोनों खिलाड़ियों के जीतने के बाद हर भारतीय  मे जोश कि लहर की दौड़ पड़ी है।  जहां हार कि वजह से लोगों मे निराशा थी वही अब खिलाड़ियो मे जीतने का जज़्बा पैदा हो गया है। बेटियां हर बार अपने घर, अपने रिशतेदार, अपने समाज, और  देश कि इज़्ज़त बनती भी है  और बचाती भी है। साक्षी और सिंधू ने भी इस बार अपने देश कि इज़्ज़त बचाई है।       
आज मै किसी काम से पुराने लखनऊ कि तरफ़ चल पड़ी और फिर कुछ देर पैदल चली रास्ते मे एक छोटा बच्चा मिला वो अपनी मौज मस्ती मे सड़क के किनारे चला जा रहा था। हम लोगे ने उस बच्चे को  मज़ाक मे  डराने लगे कि "रुको अकेले जा रहे हो ना, तुमको पकड़ के घर ले चलते है" वो थोड़ा सा डरके आगे बढ़ जाता है और फिर वो सड़क को क्रॅास करने लगता है।  मगर वो बहुत ही छोटा था और गाड़ियो को बिना देखे आगे बढ़ने लगा , फिर मैने उसका हाथ पकड़कर उसे सड़क पार कराया ,ये सोचकर कि कही कोई दुर्घटना न हो जाए। जब मैने उसे सड़क पार करा दिया तो बच्चा मुस्कुरा कर मेरी तरफ़ देखा और फिर मै भी मुस्कुरा कर आगे कि तरफ़ चल पड़ी । कुछ दुर आगे चली ही थी कि एक और छोटा बच्चा मिला बोला भूक लगी कुछ पैसे दे दो , हम लोग के पास अंगूर थे तो हमलोग ने उसे खाने के लिये अंगूर दे दिये । उस समय ये एहसास हुआ कि सरकार अगर फालतू के मुददो पे बहस करने के बजाए इन भूखे बच्चो के बारे मे कुछ सोचती तो शायद ये भूखे बच्चे सड़क पे भीख न मांग रहे होते और आज इस देश मे कोई बचचो से भीख न मगवाता।
                   आईना दिखाएगी  ये दुनिया जब ज़ुल्म से भर जायगी , जब अच्छे इंसान की चुप्पी कुछ न बताएगी, जब लड़ते है हम बुराईयो के खिलाफ, फिर क्यू कर बुराई जीत पाएगी , सुनो, ऐ बुरा करने वालो, जब जब बुरा करोगे इस समाज में, हर सहाफी तेरा आईना बताएगी , तुम सहाफियो को यु मारकर , ये मत समझना की तेरी बुराई छिप जाएगी , जब जब सहाफियो मारोगे , फिर और सहाफ़ी आ जाएगी , बुरा करने वालो सुनो हमारी बात, बुराई न कभी जीती है न कभी जीत पाएगी तुम जब जब बुरा करोगे इस समाज में , ये सहाफी तेरा आईना दिखआएगी