" ग़लत हुआ फिर वो ग़लत कहलाई गई" मैं जब भी उदास होती हूँ तो रो लेती हूँ या फिर लिख लेती है. मन तो काफी दिनों से उदास है पर आज लिखने का दिल का कर रहा है. अपने मन में भरे हुए जज़्बातों को अब अपने अंदर समेट नहीं पा रही हूं,,.... जज़्बात तो मन में बहुत है मगर उन जज़्बातों के साथ सवाल भी उससे कहीं ज़्यादा हैं। दिल में भरे एहसास के सैलाबों को आज मैं अपने अल्फ़ाज़ों से बयां बकर दूंगी। आज सिर्फ़ अपने ज़ज़्बात ही बयां करुँगी सवाल किसी और दिन करुँगी। एक लड़की जब मोहब्बत के नाम से अनजान होती हैं तब ये इस दुनिया के कुछ नामर्द ऐसे होते हैं जो मोहब्बत से अनजान उस लड़की को ये बताते हैं की मोहब्बत क्या है? मोहब्बत कैसे की जाती है? मोहब्बत क्यों की जाती है? मगर जब वहीं लड़की मोहब्बत का सबक़ सीख जाती है उसे ये एतबार दिला दिया जाता है कि मोहब्बत ही सबकुछ है तो क्यों फिर एक मुक़ाम ऐसा आता है जब वही शख़्स (जिसने मोहब्बत के क़सीदे और सबक सिखाए) उसके एतबार को इस तरह से तोड़ता है कि फिर वो एतबार लफ्ज़ को भूल जाती ह...